विनोबा की माँ जामन डालकर दही जमाती थी और राम का नाम लेती थी |विनोबा जब बड़े हो गए तो उन्होंने कहा कि माँ और सब बाते समझ आती है |ये बताओ दही जामन से जमता है या ईश्वर का नाम लेने से ?ये क्या मामला है ,तो उनकी माँ ने हंसकर कहा कि बेटे जामन देने से ही दूध का दही जमता है | जामन से ही जमता है तो फिर ईश्वर की क्या आवश्यकता | बेटे ,सिर्फ इतनी आवश्यकता है कि कल जब सुबह सुबह बहुत अच्छा दही जम जाएगा तो मुझे यह अहंकार ना आ जाये कि मैंने जमाया है ,इसलिए राम का नाम लिया | मेरी श्रध्दा मेरे इस कर्तापने और अहंकार को कि मै करता हूँ ,इसको नष्ट करती है |इसलिए ईश्वर के प्रति श्रद्धा भी आवश्यक है ईश्वर का इतना बड़ा रोल है | यह सहयोग बहुत जरुरी है ईश्वर का जीवन में | मै उसके प्रति श्रद्धा रखूं और अपने अहंकार को ........................... और यदि कल का दिन दही नहीं जमता है तो मै किसी को शिकायत न करू | मैं किसी को दोषी ना ठहराऊ |मै संक्लेश ना करू |इससे ईश्वर मुझे बचा लेता है | बस इतनी सी ही बात है
मुनि क्षमासागर महाराज