माँ
लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती
माँ एक अनुभूति है ,विश्वास है,अपना सा रिश्ता है |माँ एक अक्षर नहीं है | ताकत है|जिसका एहसास सिर्फ माँ बनकर ही लगाया जा सकता है|
माँ बनने के बाद माँ की दुनिया ही बदल जाती है ,फिर उसकी आँखे सोती कम है सपने ज्यादा देखती है |माँ बेटी का अनोखा रिश्ता होता है |उसका पहला डगमगाता कदम ,पहली शरारत ,पहली किताब ,पहला खिलौना ,माँ बच्चे के लिए कितना जुड़ जाती है |कितना बट जाती है ,बिटिया को सजा देकर कितना रोती है और माँ कहते ही कितना पिघल जाती है ,कोई अंदाज नहीं लगा सकता |माँ .........................माँ है |
लबो पर उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती
माँ एक अनुभूति है ,विश्वास है,अपना सा रिश्ता है |माँ एक अक्षर नहीं है | ताकत है|जिसका एहसास सिर्फ माँ बनकर ही लगाया जा सकता है|
माँ बनने के बाद माँ की दुनिया ही बदल जाती है ,फिर उसकी आँखे सोती कम है सपने ज्यादा देखती है |माँ बेटी का अनोखा रिश्ता होता है |उसका पहला डगमगाता कदम ,पहली शरारत ,पहली किताब ,पहला खिलौना ,माँ बच्चे के लिए कितना जुड़ जाती है |कितना बट जाती है ,बिटिया को सजा देकर कितना रोती है और माँ कहते ही कितना पिघल जाती है ,कोई अंदाज नहीं लगा सकता |माँ .........................माँ है |