चेटिंग से चीटिंग तक
-----भारतीय नारी
भारतीय नारी का एक
ही पति होता है |उसका पति ही उसके लिए सब कुछ होता है |पति ही मित्र है ,पति ही
प्राणनाथ है ,पति ही रक्षक है और पति ही परमेश्वर है ,ऐसी भारतीय नारी की पवित्र
मानसिकता रहती है |इसी कारण से नारी को
भारत में देवी का रूप माना जाता है |जब कन्या एक घर से दुसरे घर में विवाहित होकर
जाती है तो वह साक्षात् लक्ष्मी का रूप होती है |पुत्र को कुलदीपक कहा जाता है |वह
एक कुल का ही दीपक है किन्तु पुत्री उभय कुल वर्धिनी कही जाती है |वह पीहर और
ससुराल दोनों पक्षों को बढ़ाने वाली होती है |इसी कारण नारी का स्थान सर्वोच्च है
|इसीलिए भारतीय संस्कृति में कहा गया है – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र
देवता अर्थात जहाँ नारी की पूजा की जाती है वहां देवता वास करते है |
आज भी प्रत्यक्ष
अनुभव किया जाता है कि जिस घर में सुशिक्षित ,उदार विचार वाली सज्जन ,सुशील स्त्री
रहती है उस घर में, परिवार में सुख शांति बनी रहती है |
भले ही आज की शिक्षा
कैसे भी हो,भले ही आज का वातावरण कैसा भी हो ,दुनिया में कितना ही ग्लेमर क्यों न
हो ,स्त्री पुरुषो की होड़ में आगे हो या न हो पर इतना निश्चित है जो बेटी ,बहु
शिक्षित और सुशील है वह आज भी सुखी है |अनेक अभावो और प्रतिकूल माहौल में भी वह
स्त्री उन स्त्रियों से भी ज्यादा निश्चिन्त .निरोग और सुखी रहती है जो स्त्रियाँ
कुल की मान मर्यादा को किनारे रखकर अपनी संस्कृति और सभ्यता का उल्लंघन कर जीवन
जीती है |
नारी पहले भी देवी
थी ,आज भी देवी है ,
यदि वह अपने आप में
महसूस करे तो |
यार यानि जाली दोस्त
|इन दोस्तों और अनचाहे सम्बन्धी को मित्र बनाने की होड़ में नारी अपने देवत्व को
स्वयं नष्ट कर रही है |आज पढने वाली लडकियो में यही स्पर्धा है कि किसके कितने
मित्र है ?किसके कितने चाहने वाले है|यह स्पर्धा ही नारी के शील को नष्ट करने वाली
है|जिस यौवन की पहले नारी रक्षा करती थी आज वह उस यौवन के नशे में अपना शील बेचने
के लिए मौके तलाशती है |
पहले नारी के लिए
सम्मान सूचक शब्द जैसे पतिव्रता,स्त्री ,महिला, बेटी, पुत्री,लक्ष्मी,सरस्वती,लाजवंती,कुलवधू
प्रयोग किये जाते थे|आज नारी के लिए डार्लिंग,काल गर्ल ,सेक्सी जैसे शब्द का
प्रयोग होता है|मजे की बात यह है कि इन
शब्दों को सुनकर नारी को अपमान महसूस नहीं होता अपितु खुश होती है|अपने को मोर्डन
और ही स्टेटस का समझती है|यह अज्ञानता ही महाविनाश का कारण है|
इस अज्ञानता का सबसे
बड़ा कारण है-फेसबुक |फेसबुक का यह दावा है कि वह नए सम्बन्ध बनाता है और लोगो को
आपस में जोड़ता है, एकदम गलत और हास्यास्पद है| नित नयी घटनाओ से यह सच्चाई सामने आ
रही हैकि फेसबुक से जो सम्बन्ध बनाये जाते है,वे झूठ से शुरु होते है और अलगाव पर
समाप्त हो जाते है |इस अकाउंट को रखने वाला यूज़र जब अपनी फेसबुक प्रोफाइल बनता है तो एकदम गलत डाटा फीड करता है|
४० साल का आदमी अपने
को २२ साल का लिखता है|बेरोजगार आदमी नामी कंपनी में जब दिखाता है,आदि आदि |
पहले चेटिंग फिर
डेटिंग फिर सेटिंग और अंत में चीटिंग यही इस फेसबुक की असलियत है|
क्षणिक आनंद और
घटिया मनोरंजन के लिए इससे जुड़ने वाली सभी अपना अहित करने को मजबूर हो रही है जैसे
एक मक्खी यह जानकर भी कि उसके पैर चाशनी में फसेंगे,वह उस सीरे में गिर जाती है
|इस नादानी से कौन बचाए? कौन समझाए?
नारी कहती है मै पुरुषो
से कम नहीं हूँ|उसकी यह सोच ही गलत है|यह सोच ही भावनात्मक विद्रोह का रूप लेकर
उसे इन्टरनेट , मोबाइल फेसबुक और नशे की चीजो से जोड़कर उसके जीवन को तबाह कर रही
है|वस्तुतः प्रत्येक नारी को यह सोचना चाहिए कि मै दोनों कुल को प्रकाशमान करने
वाली जन्मजात मशाल हूँ|जो प्रेम,करुणा,सहृदयता,शालीनता,लज्जा जैसे भावनात्मक गुण
नारी में है वे गुण पुरुषों में नहीं आ सकते फिर वह पुरुष से पीछे रह कैसे सकती
है,बर्शते कि वह अपनी गुणवत्ता बनाये रखे |
शिक्षा की
स्वतंत्रता ने इतना स्वच्छंद बना दिया कि अब पाप,पाप जैसा नहीं लगता|इस सन्दर्भ
में प्रत्येक बेटी,बहू का कर्तव्य है कि वह अपना मूल्यांकन स्वयं करे |