शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

मानव मूल्य

जिन मान्यताओं के आधार  पर हम अपने को अपने समाज  को न केवल धारण और व्यवस्थित कर पाते हैं , बल्कि दोनों में निहित लोक मांगलिक संभावनाओं को चरितार्थ भी करते हैं मानव मूल्य कहलाते हैं | मानव मूल्य मानवता को गरिमा प्रदान करते हैं | मानव मूल्यों से युक्त व्यक्तित्व ऐसी अमर निधि है , जिसकी प्रतिकृति जीवन सुन्दर होकर स्वर्निमता का रूप धारण करती है | इससे जीवन में यश , अर्थ , काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है |
  मानव और मानवीय मूल्य सर्वोपरि है | संसार की समस्त उपलब्धियां मानव के लिए हैं , मानव उनके लिए नहीं  है | मृत्यु जीवन का यथार्थ है | जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है | मानव मूल्य एक ऐसी आचरण सहिता या सद्गुण समूह है जिसे अपने संस्कारों एवं पर्यावरण के माध्यम से अपना कर मनुष्य अपने निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपनी जीवन पद्धति का निर्माण करता है | अपने व्यक्तित्व का विकास करता है |
  वास्तव में मानव मूल्य तीन बातों पर निर्भर हैं - [१] जो व्यक्ति विशेष की मान्यता है -यह मानव मूल्य है [२] जैसा वह व्यवहार करता है - यह व्यवहार व्यावहारिक मूल्यों को प्रगट करता है [३] जो हम जीवन के घात प्रतिघात से अनुभव द्वारा सीखते हैं और अपने मूल्यों  का पुनर्निर्माण करते हैं | प्राचीन और नवीन  दोनों में जो ग्राह्य है , उनका समन्वय करके ही वांछित मूल्यों का निर्माण होता है इसमें परंपरागत मूल्यों की अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है |
    मानव मूल्यों का सम्बन्ध नैतिक विचार से है और नीति का घनिष्ठ सम्बन्ध धर्म और दर्शन से है |भारत वर्ष में धर्म और दर्शन साथ साथ  चलते रहे है | ये दोनों ही नैतिक जीवन के आधार स्तम्भ माने  गये हैं |जीवन क्या है ? इसका लक्ष्य क्या है? अच्छा क्या है ? बुरा क्या है? अच्छा ही क्यूँ बनना चाहिए ? इन प्रश्नों का उत्तर एवं विविध मूल्यों का समाधान दर्शन के द्वारा ही होता है |हमारी संस्कृति में निहित नीति सिद्धांत न केवल हमारी नैतिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों को विशेष आधार प्रदान करते है अपितु इनका पोषण भी करते आये  हैं|

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